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Amresh Kumar Labh

Tragedy Others

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Amresh Kumar Labh

Tragedy Others

वेदना की एक लम्बी कड़ी

वेदना की एक लम्बी कड़ी

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जीवन, वेदना की एक लम्बी कड़ी

नित्य जुड़ती एक नई लड़ी l

ठीक से होश संभाला भी नहीं 

तुतली आवाज़ अभी

सुधर पायी भी नहीं 

कदम अभी भी

लड़खड़ा ही रहे थे 

माँ-बाप के सपने सजने लगे

अच्छी तालीम देने को

सुनहले भविष्य संजोने को l


औकात आड़े आने लगी

धनी को, धन खपाने की

निर्धन को, वहन कर पाने की

साथ हीं एक मिथ्या

बेटी को क्या पढ़ाना

पराया धन पर धन लगाना –

कहीं लाचारी तो कहीं आडम्बर बन-

बना एक रोड़ा

विद्यालय जाने की

कितनों की तमन्ना

यहीं दम तोड़ गई

वेदना की एक नई लड़ी जोड़ गई l


शिक्षा, रही नहीं सस्ती

बच्चे पढ़ाने को

नहीं सबकी हस्ती

बड़े स्कूल की बड़ी फ़ीस

ऊपर से तमाम लटके-झटके 

जिसके पास पैसा अथाह

हो गए दाखिल

बाकी के लिए गली का विद्यालय

या सरकारी ही काफी

हीनता की एहसास छोड़ गई

वेदना की एक नई लड़ी जोड़ गई l


घर के काम निपटा 

शरीर से भारी बस्ता

कंधे पर लटका

पार कर लम्बा रास्ता

स्कूल तो पहुंचा

पर थोड़ी देर हो गई

शिक्षक की झिड़की

मन को मरोड़ गई 

वेदना की एक और लड़ी जोड़ गई l


कभी गंदी वर्दी 

कभी शुल्क जमा करने में विलम्ब

हालात को जानते हुए भी मिलता दंड

गृह-कार्य न कर पाने की मज़बूरी

को जाने बगैर मिलता तंज

शूल सी चुभो गई

वेदना की, और कई लड़ी जोड़ गई l

 

यही नाकाफी था

परिश्रम का फल बाकी था

परिणाम में हेराफेरी

हिम्मत को तोड़ गई

वेदना की एक और लड़ी जोड़ गई l


आगे की पढ़ाई

को खर्च पड़ी भारी

बहुतों ने तो छोड़ दिया

कुछ ने हिम्मत जुटाई

जिसका जुगाड़ था

कलम में न धार था

परिणाम के शीर्ष पर

उसका कतार था

सच्ची प्रतिभा यहाँ भी पिछड़ गई

वेदना की एक और लड़ी जोड़ गई l


असली परीक्षा की अब है घड़ी आई

प्रतियोगिता के दौड़ में

पार करने की बारी

अवसर कम थे

घोर बेरोजगारी 

दिन-रात एक कर

खूब की पढ़ाई

परीक्षा तो ठीक जाते

परिणाम नहीं आई

पद की हर एक बार

हो गई नीलामी

पैसे-पैरवी वाले निकल गए

बाकि, धरे के धरे रह गये

किस्मत तो इनकी फुट गई

वेदना की एक और लड़ी जुट गई l


पा लिया जो पद

पैसे,पैरवी या छल से

मिली न छुटकारा

उसे भी दलदल से

कभी अनपढ़ मंत्री

कभी उनके कुर्गे

बाँधते महिना

कराते काम बल से

ईमानदारी दिखाई

तो हट गए फिर पद से

बन रिश्वतखोर

अपने भी खाई

ऊपर वाले को भी खिलाई

पकड़े जाने की खौफ 

वेदना की लड़ी जोडती चली गई

जीवन वेदना की एक लम्बी कड़ी बन गईl



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