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Amresh Kumar Labh

Abstract

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Amresh Kumar Labh

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छोड़ जाउँगा

छोड़ जाउँगा

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छोड़ जाउँगा

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चला हूँ हौसला लेकर नई दुनियाँ बसाने को

फ़क़त इंसान को लेकर, शैतानों छोड़ जाउँगा


अगर मुराद हो तेरी कि खाएं ईमान की रोटी

फिर तुम भी चले आना, बेईमानों छोड़ जाउँगा


अमन के तुम पुजारी हो तो फिर तुम भी चले आना

मगर ए सुन लो दहशतगर्द, तुम्हें मैं छोड़ जाउँगा


तुम्हारा धर्म मानवता अगर हो तो चले आना

लड़ें जो धर्म के खातिर उसे मैं छोड़ जाउँगा


सुनो ए स्वच्छ वायु जल तुम्हारा भी यहाँ स्वागत

प्रदुषण साथ हैं तेरे तो तुमको छोड़ जाउँगा


चला अपनी नई दुनिया, गुजारिश है मेरी आखिर

कभी आना मेरी दुनिया, डगर मैं छोड़ जाउँगा।


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