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Amresh Kumar Labh

Inspirational

4.6  

Amresh Kumar Labh

Inspirational

तुमको आगे आना होगा

तुमको आगे आना होगा

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छाया है अब घोर अँधेरा

रवि शशि ने है मुँह फेरा

कैसे हो फिर नया सवेरा 

दीपक एक जलाना होगा

तुमको आगे आना होगा।


सिंहासन के दांव-पेंच में

रावण घुमे राम भेष में

मोह मुकुट का छोड़ तुम्हे अब 

भाई भरत बन जाना होगा

तुमको आगे आना होगा।


जुल्मी घूम रहे हैं नंगा

कौन भला ले इनसे पंगा !

अंगुलिमाल के खौफ के आगे

गौतम बुद्ध बन आना होगा

तुमको आगे आना होगा।


बड़े विनाशक जंग छिड़े हैं

कितने राज्य कलिंग हुए हैं

सुनकर अब चीत्कार यहाँ का  

प्रियदर्शी बन जाना होगा

तुमको आगे आना होगा।


संख्या बल में कौरव आगे

पांडव आखिर कब तक भागे 

कुरुक्षेत्र के इस मैदान में

केशव बन कर आना होगा

तुमको आगे आना होगा।


जगह जगह हैवान खड़े हैं

नारी न नवजात बचे हैं

शूर्पणखा के जाल से बच कर

लक्ष्मण तो बन जाना होगा

तुमको आगे आना होगा।।


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