"हिंदी सी तुम"
"हिंदी सी तुम"
हिंदी सी तुम लगती मुझको-
मन में मधुरिम स्वप्न संजोती,
मीरा और सुभद्रा जैसे-
शब्द-सरित में भाव समोती.
शोभित दिल के सिंहासन पर-
हिंद-प्रेम का ज़ज्बा लेकर,
नेह,हर्ष का राग सुनाती-
सदा लुभाती रहती जी-भर.
इस जग की खुलती खिड़की से -
कितने प्रेमी झाँक रहे हैं ?
तेरी चाहत लेकर झूमे फिरते हैं-
नित ताक रहे हैं.
सरल, सरस, मनमोहक सी तुम-
जीवन की गतिमान रवानी,
चारों ओर तुम्हारी चर्चा-
बनी रहो सदा पटरानी.
भारत मां का मस्तक दमके-
जानी-पहचानी बिंदी से,
मेरा तो अटूट रिश्ता है-
प्राणप्रिया प्यारी हिंदी से.
