आनन्दगङ्गा वहतीव यत्र सौन्दर्यसिप्रा सरतीव यत्र । आनन्दगङ्गा वहतीव यत्र सौन्दर्यसिप्रा सरतीव यत्र ।
लाल साड़ी और गहने पहन पूनम का चाँद बन जाऊँगी, आज खुद को मैं ऐसा सजाऊँगी। लाल साड़ी और गहने पहन पूनम का चाँद बन जाऊँगी, आज खुद को मैं ऐसा सजाऊँगी।
कवियों की लेखनी से बहती झर झर निर्मल प्यारी है गंगाजल सी पावन देखो ऐसी हिंदी हमारी है कवियों की लेखनी से बहती झर झर निर्मल प्यारी है गंगाजल सी पावन देखो ऐसी हिंदी...
अषाढ़ महीना बीज तिथि को गर्भ गृह से प्रभु की यात्रा निकलती। अषाढ़ महीना बीज तिथि को गर्भ गृह से प्रभु की यात्रा निकलती।
वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब बड़े आश्चर्य की बात हैं ! वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब बड़े आश्चर्य की बात हैं !