मन मयूर सा नाच उठता है जब काले बादल छा जाते। मन मयूर सा नाच उठता है जब काले बादल छा जाते।
बादलों के जवाबी ख़त नदारद थे बादलों के जवाबी ख़त नदारद थे
बूँदों की प्रतीक्षा का अंतिम दिन नखलिस्तान सा लगे है बूँदों की प्रतीक्षा का अंतिम दिन नखलिस्तान सा लगे है
अषाढ़ महीना बीज तिथि को गर्भ गृह से प्रभु की यात्रा निकलती। अषाढ़ महीना बीज तिथि को गर्भ गृह से प्रभु की यात्रा निकलती।
नहीं जानता तुम मेरी इस विचारग्नि पर किस तरह का अमृतजल बिखेरेगी नहीं जानता तुम मेरी इस विचारग्नि पर किस तरह का अमृतजल बिखेरेगी