दुआ बनकर सुर्ख़ लबों पर, जो निखरने लगे दुआ बनकर सुर्ख़ लबों पर, जो निखरने लगे
अगर वक़्त नहीं शफ़ीक़ है। अगर वक़्त नहीं शफ़ीक़ है।
कभी व्यर्थ की चिंताओं में, चेहरा हो कुछ दहल गया कभी व्यर्थ की चिंताओं में, चेहरा हो कुछ दहल गया
उम्मीद में पगी रख अपनी सतत् सुफुरना। उम्मीद में पगी रख अपनी सतत् सुफुरना।
हमारा इंतजाम करते हैं आओ थोड़ा व्यायाम करते हैं। हमारा इंतजाम करते हैं आओ थोड़ा व्यायाम करते हैं।
हर-दिल में बस जाने की तलब जाग गई है। हर-दिल में बस जाने की तलब जाग गई है।