हवाएं
हवाएं
हवाएं हमें आजाद करें
इससे अच्छा है कि,
हम हवाओं से वफा करते हैं।
एक नहीं, दो नहीं, पूरे 39 दिन,
हवाओं को खुला आसमान देते हैं।
वो दिन हवा हुए
कहते नहीं थकते हैं।
अरे भाई खुली हवा में
सांस लेने के लिए ही तो
घर में रहते हैं।
स्याह होती हवाओं को
थोड़ा वक्त देते हैं।
तब तलक आओ
आत्म मंथन करते हैं।
आशंकाओं की नथुनी कसते हैं
थोड़ी सांसे तो चलने देते हैं।
दवाएं हमें समय से बांधे,
इससे पूर्व ही हम
हमारा इंतजाम करते हैं
आओ थोड़ा व्यायाम करते हैं।