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Vaidehi Singh

Romance

4.5  

Vaidehi Singh

Romance

मेरी शादी

मेरी शादी

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लाल साड़ी और गहने पहन पूनम का चाँद बन जाऊँगी, 

आज खुद को मैं ऐसा सजाऊँगी। 

कि माँ बलैया लेती नहीं थकेगी, 

और हर नज़र बस मुझपर ही रुकेगी। 

संसार की सबसे सुंदर दुल्हन बनूँगी, न सूखी, न सादी, 

क्यों ना सजूँ मैं, ये है मेरी शादी। 


वज़न घटाने के लिए मन क्यों मारूँ मैं, 

मुँह मीठा कर, रानी बन पूरे आँगन में फिरूँ मैं। 

बगीचे से ज़्यादा फूल मेरे जूड़े में हों, इसका ध्यान रखना है, 

और रसोई में जाकर हर एक पकवान चखना है। 

मेहमान बना बुलाऊँगी घर पर आधी आबादी, 

क्यों ना बुलाऊँ मैं, ये है मेरी शादी।


घोड़े पर बैठा आएगा मेरा दूल्हा "अनघ", 

दूर से चमकती दिखेगी उसकी पगड़ी की नग। 

बारात होगी ऐसी जैसी शाही सवारी आ रही हो, 

मेरी हालत ऐसी जैसे अर्जुन पर सुभद्रा सौ बार वारी जा रही हो। 

आज पाउँगी ससुराल के हर सदस्य के हृदय की चाबी, 

क्यों ना नाचूँ खुशी में मैं, ये है मेरी शादी।


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