रानी
रानी
पूरा जंगल काँपता देख उसकी चाल,
एक दहाड़ में मच जाता सभी जीवों में बवाल।
अकेली चलती है गुटों से दूर, नहीं चिंता अमंगल की,
वो हैं शेरनी, रानी पूरे जंगल।
प्रजा को संतान सा प्रेम करती,
खून से सनी तलवारों से नहीं डरती।
नयनों में भर्ती कालिमा स्वाभिमान की,
वो है रानी शक्ति, सौंदर्य और ज्ञान की।
नींद से जगा देती पायल छनकाकर,
प्रेम स्वरों में उलझा देती गीत गाकर।
सबसे महकी कली पूरे मधुबन की,
वो है प्रेमिका, रानी किसीके मन की।
उसके जादू से एक भी बुराई बच न पाई,
अँधेरे में वो रौशनी, प्रकाश की परछाई।
वो है वजह सबकी हैरानी की,
वो है रानी किसी जादुई कहानी की।
अंग-अंग से सोमरस बहता,
ग्रीष्म में हर कोई उसका ही नाम लेता।
दवा है वो धुप से सेहत को हुई हर हानि की,
वो रानी है पानी की।
मैं इन रानियों सी ख़ास नहीं,
इनसि शक्ति मेरे पास नहीं।
पर मैं हूँ दवा किसी के घाव की,
मैं वैदेही, रानी हूँ मैं किसी राघव की।