प्यार ऐसा भी
प्यार ऐसा भी
कहते हैं प्यार में पड़ा इंसान हरदम मुस्काता है,
चाहत की सौंधी-सौंधी खुशबु में मस्त हो जाता है।
प्रीतम के चेहरे से नज़र और ख्वाबों से प्रीतम नहीं हटता,
उसके बिना फिर एक पल भी नहीं कटता।
मेरा भी है एक किस्सा चाहे हो जैसा भी,
मानो या ना मानो, है प्यार ऐसा भी।
अक्सर लोग अपने प्यार का जिक्र दोस्तों से करते हैं,
पर मेरी कहानी में मेरे दिल, दिमाग और फेफड़े मुझसे ज़्यादा डरते हैं।
दूर से दिलबर को ताकना बड़ा पसंद आता है,
मगर उससे नज़रें मिलते ही, मेरी नज़रों का रुख बदल जाता है।
लोगों की बेचैनी बढ़ती है और मेरी उलझन बढ़ती है,
ये प्यार ऐसा भी, जहाँ दिल की खींची लकीरें एक नई कहानी गढ़ती है।
दिल पंछी बनकर हवा में नहीं उड़ता मेरा,
ना ही ख्वाबों के आसमान ढूँढने निकलता दिलबर नाम का सवेरा।
प्यार में तो दिल दुगनी तेजी से धड़ककर थक जाता है,
और थाम जाता है, जब प्रीतम उधार ली कलम मेरे पास मुस्कराकर रख जाता है।
ऐसे सबका इंतज़ार खत्म हो जाता है,
पर मेरा प्यार ऐसा भी, जो नींद उड़ा कर भी ख्वाब दे जाता है।