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Vaidehi Singh

Classics

4.5  

Vaidehi Singh

Classics

बीती यादें

बीती यादें

1 min
433


किसीकी खोई मुस्कुराहटें फिर वापस लानी है, 

नई स्याही से लिखनी एक नई कहानी है। 

अब खुशी के कुछ पल कमाने हैं, 

बीती यादों के कुछ पल फिर दोहराने हैं।


सूरज की किरणें आज भी आँगन में इठलाए, 

चमक - चमक हमें बाहर बुलाए। 

आज की हर एक घड़ी संवारनी है, 

बीती यादों की छाँव में दोपहर गुज़ारनी है। 


कानों में गूँजती वाणी का उद्गम अभी खोजना बाकी है, 

जिसकी सूरत की मेरी आँखों में लगती हरदम झाँकी है। 

किसीकी पुकार आज साकार करनी है, 

बीती यादों की पतवार से सीमाओं की नदिया पार करनी है। 


आँखें नम रख रातें कई गवाँ दीं, 

मन की सुलगती अंगारों को सिसकियों की हवा दी। 

आजतक तक जिन्हें बगीचों के नाम से पहचाना है, 

बीती यादों की उँगली पकड़ उन जंगलों से आज बाहर निकल जाना है।


जो मेरा था, उसे शब्दों में छुपाना है, 

छुपाकर, फिर बस चुप रह जाना है। 

उसकी नज़रों में अब मैं भी दिखूँगी, 

बीती यादों की किताब में नए सुखद किस्से लिखूँगी।


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