ओ मेघा कारे
ओ मेघा कारे
ओ मेघा कारे ! तुझको पुकारे
मन ये रोए, सांझ सकारे
ले जा संदेसा, उनके द्वारे
दूर बसे हैं बालक प्यारे
बूंदें बरसे छुम छना नन
छुम छना नन
बरसे सावन,मेरे आंगन
यादों में घिर के रोए मेरा मन
रोए मेरा मन, रोए मेरा मन ........
बालक मेरे दूर बसे हैं
सुख वैभव पिंजर में फंसे हैं
देते दुआएं हम मां बाबा
भीतर रोए बाहर हंसे हैं
हो जाता है मन ये उन्मन
नैनों से मोती बरसें झमाझम
छुम छना नन , छुम छना नन
यादों में घिरके,रोए मेरा मन
रोए मेरा मन, रोए मेरा मन.......
बादल से ही भेजूं संदेसा
सबका चेहरा दिल में होता
सोचूं उन्हें तो पलकें हों नम
बात करूं तो पड़ जाएं कम
सिसकूं ऐसे बाजे सरगम
भूल ही जाऊं दुनिया के गम
छुम छना नन छुम छना नन
यादों में घिर के रोए मेरा मन,
रोए मेरा मन,रोए मेरा मन........
अपना क्या है पी जाएं गम
मन को समझा लेते हरदम
पुरवइया चलती है सना सन
मेघा बोलें घन घनानन
सूना पड़ा है मेरा आंगन
धनक दिखाए अपना आनन
मेघा जाके बरसो झम झम
द्वारे आएं, दूर हो ये गम
ज ल्दी आएँ होकर टनाटन
छुम छना नन छुम छना नन
यादों में घिर के रोए मेरा मन..
रोए मेरा मन..रोए मेरा मन..
बूँदें बरसे छुम छना नन, छुम छना नन
यादों में घिर के रोए मेरा मन..