प्यार है गर रूह तो।
प्यार है गर रूह तो।
इश्क में इस तरह इल्जाम हम सहते रहे।
वफा हम करते रहे वह बेवफा कहते रहे।
बोझ है मजबूरियों का ये नही जाने सनम।
तोहमतों की बाढ़ में अरमान मेरे बहते रहे।
मां बहन भाई मेरे अपने हैं ये समझे न वो।
पर उनके सपने सिर्फ मेरे वास्ते रहते रहे।
जिंदगी की उलझने उनकी थी मेरी भी थी।
भूले हकीकत को ख्याली लोक में रहते रहे
प्यार है गर रूह तो कर्तव्य भी तो देह है।
रिश्ते इन दोनों के दुनिया में सदा रहते रहे।

