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V. Aaradhyaa

Classics Inspirational

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V. Aaradhyaa

Classics Inspirational

अटल रहे अटल

अटल रहे अटल

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सन् उन्निस सौ चौबीस में,पच्चीस दिसंबर का दिन आया ;

कृष्ण बिहारी जी के घर में, लिया जन्म सबका मन भाया !


भारत के प्रधानमंत्री बनकर रहे वो सदा दुनिया में छाए ;

राजधर्म के अटल प्रणेता,अटल बिहारी जी ही कहलाए !


मूल निवास बटेश्वर में था,जुड़े ग्वालियर से बेहद करीब ;

लिख डालीं ऐसी कविताएँ,भाव-विभोर हुए अमीर गरीब !


गए कानपुर पिता संग दोनों ही एल एल.बी. करके आए ;

अटल बिहारी बाजपेयी जी सदा दृढ़ अटल ही नज़र आए !


सन् उन्निस सौ सत्तावन में पहली बार ज़ब हुए निर्वाचित ;

दिल्ली में संसद तक पैदल जाना उनको लगा न अनुचित !


पैसे पास नहीं थे उनके,रिक्शे का देता भला कौन किराया ;

बाद में राज किया लोगों के दिलों पर ,भेदभाव को मिटाया !


तेरह दिन,फिर तेरह मास,और फिर पाँच साल की रही सत्ता ;

राजनीति की धुरी रहे वे, सचमुच रहे वह एक सर्वश्रेष्ठ वक्ता !


पत्रकार , साहित्यकार व संपादक थे सचमुच वह कुछ ऐसे ;

पूरा जीवन उनका संघर्षों से तपा और बने कुछ कुंदन जैसे !


'भारत- रत्न' बाजपेयी जी, की महिमा को अब कौन न गाए ;

अद्भुत साहस का परिचय दे,मिटा दिए उन्होंने आतंकी साए !


मानवता के महान संरक्षक ने,मानवमूल्य को सदा अपनाया ;

सबके दुख कष्ट हरने मानव का श्रेष्ठ अवतार बनकर आया !


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