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Neerja Sharma

Classics

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Neerja Sharma

Classics

जिंदगी इक शतरंज

जिंदगी इक शतरंज

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जिंदगी है शतरंज का खेल

जीवित प्यादे हैं हम सब यहाँ।


होड़ में लगा है हर इंसान 

कैसे मात दूँ ये सोचे यहाँ।


गैरों की तो बात ही नहीं

अपनों को भी नहीं छोड़ते यहाँ।


हर इंसान शकुनि बन गया

कई दुर्योधन ताक में बैठे यहाँ।


द्रोपदी की तो बात नहीं 

मासूमों को दाव पर लगाते यहाँ।


इंसानियत मानो मर गई

ज़मीर खुले आम बिकते यहाँ।


संस्कारों का हनन हो रहा

बहन बेटी को भी नहीं छोड़ते यहाँ।


शतरंज के सब शातिर खिलाड़ी

राजा बन गली-गली घूमते यहाँ।


विश्वास अब कर नहीं सकते 

पता नहीं कब कौन शह दे दे यहाँ।


अन्त सबका पूर्व ही निश्चित  

फिर भी अमर होने का ढोंग है यहाँ।


प्रभु की कठपुतलियाँ हैं सब 

बाजी खत्म तो दौबारा नहीं खेलते यहाँ।


सब लोग शतरंज हैं जानते 

फिर भी दांव पेच से बाज नहीं आते यहाँ।


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