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Rekha Rana

Classics

3  

Rekha Rana

Classics

फौजी की अभिलाषा

फौजी की अभिलाषा

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फ़ख्र है खुद पर जो वतन के लिए जान लुटाई, 

वतन वालों अलविदा...... अब लेते हैं विदाई। 


वीरों की संतान हैं हम, हमें मौत डरा न पाए, 

रंज तो इस बात का के छद्म युद्ध में जान गवाँई। 


होते दो-दो हाथ अरि से तो मरने का मजा आ जाता, 

शहादत की चाहत हर फौजी के दिल में ले अंगड़ाई। 


तिरंगे में लिपट शान से जब पहुँचेंगे घर गाँव व में, 

हजारों आँखों की नमी कहेगी ड्यूटी शिद्दत से निभाई। 


यही प्रार्थना है उस प्रभु से रेखा सुन ले अर्ज हमारी,

इसी भारत भूमि पे फिर लें जन्म जहाँ शहादत पाई।  


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