मानवता और मजहब
मानवता और मजहब


बौद्ध, जैन, हिन्दू, मुस्लिम या हो सिख, ईसाई,
सभी धर्मों ने मिलकर ये खूबसूरत धरती बसाई।
अलग-अलग मजहब है पर संदेश सबका एक है,
अलग-अलग राहें सबकी पर मंजिल तो एक है।
मानवीय संवेदनाओं से हीन हर जीवन बेकार है,
मानवता ही तो दुनिया में हर मजहब का आधार है।
कितने मजहबों ने भारतीय संस्कृति को सजाया,
इसीलिए विभिन्नताओं का संगम भारतवर्ष कहलाया।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण से सदस्यों यही आती रहे,
हम सब एक हैं का तराना हवायें भी गाती रहें।
मिलके सारे मजहब राह मानवता की रेखा चलते रहे
आपसी प्रेम और सद्भावना के यूँ ही दीप जलते रहें।