क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
रातों को अब हम जगने लगे हैं,
रात भर तारों को तकने लगे हैं,
रहता है हर पल बस उसी का ख्याल,
क्या यही प्यार है ?
बिना बात ही मुस्कुराने लगे हैं,
बेसुरे से हम गुनगुनाने लगे हैं,
छाया इस कदर उसके हुस्न का जमाल,
क्या यही प्यार है ?
चाँद भी उसके आगे फीका सा लगने लगा,
"उसके साथ "का सपना दिल में पलने लगा,
बन जाये शरीके हयात तो हो जाये धमाल,
क्या यही प्यार है ?
जाने ये कैसा अजब अहसास है,
मिलने के बाद भी मिलने की प्यास है,
कशमकश मे उलझा दिल करता है सवाल,
क्या यही प्यार है ?
आजकल दुनिया हसीं लगने लगी,
ख्वाहिशों की महफिल सजने लगी,
दिखाया इश्क ने *रेखा *पर ये कमाल,
हाँss शायद यही प्यार है।