सबके लिए शिक्षा
सबके लिए शिक्षा
गला काट प्रतियोगिता के चलते,
शिक्षा अब व्यवसाय बनने लगी है,
शिक्षा का स्तर बढ़े न बढ़े,
हाँ, व्यवसायी की जेब भरने लगी है।
पेट काटकर माता पिता,
जो भी पैसा बचा रहे,
वो सारा का सारा वो,
बच्चे की शिक्षा पर लगा रहे।
कट कर जड़ों से अपनी,
शिक्षित नौनिहाल हो रहे,
भागते हुए पश्चिमी संस्कृति के पीछे,
अपने मूल्य खो रहे।
शिक्षा का खर्च,
सुरसा का मुँह बनता जा रहा,
ऐसी पढ़ाई पढ़ कर नौजवान,
कमाई की मशीन बनता जा रहा।
सबके लिए शिक्षा समान हो,
गर सस्ते में सबको मिल जाये,
मेरा भारत तरक्की की राह पर,
सबसे आगे निकल जाये।