STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Classics

3  

अच्युतं केशवं

Classics

अपेक्षा एक मात्र दुखमूल

अपेक्षा एक मात्र दुखमूल

1 min
220

जिसको जब जो देना चाहो

दे दो

जिसके हित जो करना चाहो

कर दो।


न करना चाहो

मत करो

न देना चाहो

मत दो किन्तु वृथा मत

आशा बांधो।


बदले की मत सोचो

विशेषकर शुभ

भला करो तब

बदले की मत सोचो।


चाहे अपना हो

चाहे पराया हो

मत सोचो

वह ऋणी रहेगा

तुम्हें तुम्हारा किया

कृतज्ञ हो लौटाएगा।


आशा बस दुःख देगी

अपेक्षा मन भारी कर देगी

करो और भूलो

अपना हित खुद रखो सुरक्षित

अपने नीचे अपनी जमीन

बनाये रखो।


अपने सिर अपना नील वितान

तना रहे आख़िरी साँस तक

क्यूंकि अपेक्षा

एक मात्र दुखमूल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics