बाधा
बाधा
हां अपाहिज हो गया हूं
आज बूढ़ा, हो गया हूं,
बोझ बन गया हूं बच्चों पर
परिवार और शायद समाज पर भी।
तभी तो आज मेरा बेटा
व्हीलचेयर पर बिठा मुझे
ले जा रहा है,
वृद्धाश्रम की ओर।
मुझ बूढ़े का बोझ उठा नहीं पा रहे
उसके व उसकी बीवी के जवान कंधे।
जाते जाते मुझे याद आ रहे हैं,
वे पुराने दिन,
जब मैंने उसका हाथ पकड़ कर
स्कूल पहुंचाया था।
सुबह सुबह उसे प्यार से जगाया था,
अपने हाथों उसका टिफिन बनाया था।
नया बैग उसके लिए
खरीद कर लाया था।
और बाहर आकर छलकती हुई
आंखों को रुमाल के कोर से
पोंछ भी लिया था।
है इसमें एहसान कैसा
मैंने तो अपना फर्ज निभाया था
आज मेरा बच्चा भी
वही करने जा रहा है।
अपने बच्चे की जिम्मेदारियों के बीच
मुझे बाधा समझ कर,
अपने हाथों से मुझे
ओल्ड होम पहुंचा रहा है
ओल्ड होम पहुंचा रहा है।