वासन्ती चादर
वासन्ती चादर

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खेतो में फैली वासंती चादर
गांवो में वासंती खुमार है।
टेशू की लालिमा तरु है ढाँके
बागों में बौरन बहार है।
आम के बौर पे कोयलिया बौराई
कूके कुहू आम्बुआ की डार है।
फगुआ के रंग सभी है रंगे,
घर-घर फाग बहार है।
बलि-बलि जाऊँ ऐसी ऋतु पे
कहते बसन्त बाहर है।