फागुन
फागुन

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फागुन मदमाता आया सखी
राग फाग का लाया सखी
उड़त गुलाल लाल भये बदरा
चुनर भिगाता आया सखी ।
ढोल नगाड़े बाज रहे हैं
मटकिन भरे रंग भी हैं
आओ राधा होरी खेलन
श्याम अपने संग भी हैं।
गोरी गुलाल मल दूँ तोहे
गाल गुलाबी रे सोहें
बरसाने की नार नवेली
मनवा मेरा है मोहे।
पिया बिन होरी भाये ना
लौट बलम घर आये ना
फागुन आया क्यों ना आये
न संदेश ही आये ना।
लाल-लाल टेसू फूले रे
बाग पड़ गए झूले रे
फगुनिया बयार चली मदमस्त
दिल खुशी से झूमे रे।