जिंदगी एक खुली किताब
जिंदगी एक खुली किताब
मेरी जिंदगी एक खुली किताब
जिसमे है गम कि परछाइयां !
तो कभी खुशियां ही खुशियां ...
जैसे कांटे भरा फूलों का बगीचा !
जिंदगी है एक विद्यापीठ ...
जितना पढ़े कम ही लगे !
मधुमक्खी जैसी मधुकण चुसे
बिलकुल हम सब जी भर के जिये !
जिंदगी है एक सचमुच मेला
खुशियां की लूट करते रहो !
नफरत छोड़ो, प्यार दो सबको
इन्सानियत से मनावाओ रब को !
जिंदगी है एक छोटी सी कहानी ...
थोड़ी सी खट्टी, मीठ्ठी थोड़ी सी !
हँसते-हँसाते खुशियाँ बांटो...
चाहे कल हम हो या ना हो !
जिंदगी है एक उलझा हुआ रास्ता ...
दोस्त ! हाथ पकडकर साथ हैं चलना !
चंद लम्हे तो हैं जी भर के जिये ...
बहुत कम हैं जिंदगी और
मौत का फासला !