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Ajay Singla

Classics

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Ajay Singla

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श्रीमद्भागवत - २७४; शाल्व उद्धार

श्रीमद्भागवत - २७४; शाल्व उद्धार

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कवच पहन धनुष धारण कर

प्रद्युमण ने तब कहा सारथी से

अब मुझे तुम ले चलो

द्युमान के पास फिर से ।


द्युमान के पास जाकर फिर 

सिर काट डाला उसका वहाँ

बाक़ी वीर भी लड़ रहे आपस में

सत्ताईस दिन तक युद्ध ये चला ।


कृष्ण उन दिनों इन्द्रप्रस्थ गए हुए

शिशुपाल मारा जा चुका था

भयंकर अपशकुन हो रहे

वहाँ जब ये भगवान ने देखा ।


द्वारका के लिए प्रस्थान किया तब

वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा

कि यादवों पर विपत्ति आयी है

बलराम को तब उन्होंने कहा ।


‘ आप नगर की रक्षा कीजिए ‘

स्वयं युद्ध भूमि में आ गए

तब तक प्रायः नष्ट कर दिया था

शाल्व की सेना को यादवों ने ।


शाल्व ने वाण चलाए कृष्ण पर

कृष्ण ने भी वाण चलाए

विमान उसका छलनी कर दिया

कृष्ण ने अपने वाणों से ।


शाल्व ने कृष्ण की बायीं भुजा पर

वाण मारा, शर्डाँगधनुष गिर पड़ा

यह अद्भुत घटना घटी जब

शाल्व ने तब कृष्ण से कहा ।


‘ तूने मेरे मित्र शिशुपाल की

पत्नी का हरम किया, मार डाला उसे

अपने को अजय समझे तू

मार डालूँगा आज मैं तुम्हें ‘ ।


कृष्ण उसपर क्रोधित हो गए

उसपर गदा से प्रहार किया

खून उगलने लगा था वो तब 

और तभी अंतर्धान हो गया ।


दो घड़ी बाद एक मनुष्य वहाँ पहुँचा

रोता हुआ कृष्ण से बोला

‘ मुझे आपकी माता ने भेजा, कहा

पिता को शाल्व बांध ले गया ‘ ।


यह अप्रिय समाचार सुनकर

श्री कृष्ण मनुष्य से बन गए

मुख पर उनके उदासी छा गयी

करुणा और स्नेह से कहने लगे ।


‘ कोई नही जीत सकता है

मेरे भाई बलराम जी को तो

शाल्व ने फिर कैसे जीत लिया

और बांध ले गया पिता को ‘ ।


भगवान ऐसा कह ही रहे थे कि

माया रचित एक मनुष्य को

युद्ध भूमि में के आया शाल्व

वासुदेव जी के समान लग रहा वो ।


शाल्व कृष्ण को कहे’ रे मूर्ख

पैदा करने वाला तुम्हें ये

काम तमाम करता हूँ मैं

इसका अब तेरे देखते देखते ।


जो कुछ बल पुरुष बचा हो तो

तू इसको मुझसे बचा ले ‘

ये कहकर सिर काट दिया

माया रचित वासुदेव का उसने ।


परीक्षित, भगवान तो स्वयं सिद्ध हैं

ज्ञानसारूपय और महानुभाव वे

जान गए दो घड़ी में ही कि

शाल्व की फैलाई हुई माया ये ।


अचेत होकर उन्होंने देखा तो

दूत और पिता का शरीर जो

देखा वो दोनों नही हैं वहाँ, तब

उद्यत हो गए शाल्व के वध को ।


प्रिय उद्धव, ये शोक, मोह,स्नेह

भगवान को छू भी नही सकते

परन्तु वो तो एक मनुष्य होने की

लीला ही वहाँ कर रहे थे ।


गदा की चोट से जर्जर कर दिया

भगवान ने शाल्व के विमान को

विमान समुंदर में गिर पड़ा

कूदा धरती पर शाल्व घायल हो ।


कृष्ण की और झपटा शाल्व तो

भगवान ने चक्र धारण कर लिया

और उद्धार करने को उसका

सिर धड़ से अलग कर दिया ।


देवता दुंदुभी बजाने लगे

उसी समय दन्तवक्त्र वहाँ आया

मित्र शिशुपाल आदि का बदला लेने 

और वो तब था क्रोध में बड़ा ।


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