हमरी बिल्ली हमको म्याव, क्यों बे कुत्ते
हमरी बिल्ली हमको म्याव, क्यों बे कुत्ते
खूंखार जानवर, पालतू जानवर
पशु पक्षी कीड़े मकोड़े झील झरने
जंगल में मंगल फिर भी
गाँव शहरों में क्यों हैं दंगल क्यों ?
कहते हैं जानवर से इंसान समझदार
उसे हंसना दूसरों को फ़साना नहीं आता
उसे अक्ल सिर्फ अस्तित्व बनाये रखने तक
इंसान शक्तिशाली बुद्धिमान होकर भी क्यों हैं ऐसा ?
तोता मैना, चील कौवा, सांप नेवला जीते ही हैं
शेर बाघ, आदमी चूहा, मछली हाथी मयूर
जाने कितने पशु पक्षी खुद का आचार धर्म समझते हैं
मगर इंसान समझता तो है मगर मगरूरी में पालता नहीं
एक दिन अचानक जंगल में सभी ने मीटिंग बुलाई
खूंखार, पालतू जानवर, मोगली को भी था आमंत्रण
शेर ने दहाड़ते हुये बोले देखो भाइयों मोगली का करना हैं फैसला
अपनी राय रखो रे इंसान हमारा दुश्मन बन चूका हैं क्या हैं करना
पालतू जानवर बोले इंसान इतना ही बुरा नहीं हैं माफ़ी कर दो
खूंखार जानवर बोले नहीं उन्हें सबक सीखना तो पड़ेगा अब तो
बिल्ली कुत्ता चूहा मुर्गी छिपकली बोले महाराज इतने बार माफ़ कर दो
हम समझायेंगे उसे आगे से ऐसा नहीं होगा सब मिलकर रहेंगे ख़ुशी से
फिर से एक बार समझौता हुआ मोगली खुश हुआ
मयूर नाचे ताता थैया मुर्गी छिपकली बिल्ली बोले
मोगली भैया अब की बार बचे हो भैया सोच लो तुम तुम्हारा
मोगली बोले हमरी बिल्ली हमको म्याव, क्यों बे कुत्ते