तू ही बता, तू कैसा इंसान ?
तू ही बता, तू कैसा इंसान ?
बन्दर जैसी उछल कूद तेरी
कव्वे जैसी नजर हैं तेरी
बेवजह कुत्ते जैसा पसीना पसीना
तू ही बता ,तू कैसा इंसान ?
साँप नेवले ,चूहे बिल्ली सा खेल तेरा
गिरगिट की तरह तू रंग बदलता
तू खुद बन गया खुद का दुश्मन
भूखे शेर जैसा तू बना हैं शिकारी
गंदगी में डुबकी लगाये
हाथी जैसी बेफिक्री रहता
खाने के दांत लगा दिखने के अलग
शिकार करता साधु के भेष में
तू ही बता ,तू कैसा इंसान ?
गधे जैसा बोझ उठता अज्ञान का
गुलामी करता जाने अनजाने में
वो कहे तो काटता जहर फैलता
धर्म - अधर्म ,सत्य असत्य नहीं पहचानता
तू ही बता ,तू कैसा इंसान ?
अच्छा पिता बना ना भाई
अच्छा पुत्र बना ना पति कसम से
बहुरूपिया बनकर खेल दिखाता
मन की तू हैं एक जादूगर बेशक
चीते जैसी छलांग बेशक और मधुर वाणी
तेरे पीछे दुनिया दीवानी, तब तक प्यारे
जब तक करनी कथनी का अंतर न जाने
तू खुद चैन से जीता हैं
ना दूसरों को जीने देता हैं
दिन रात लड़ाई -झगड़ा
तू ही बता ,तू कैसा इंसान ?
प्यारे -दुलारे तेरी अक्ल कहां गई ?
जमीन खा गई या आसमां निगल गया
सागर जैसी गहराई और परबत सी दृढ़ता
झील झरने के पानी जैसा सुन्दर निर्मल मन था तेरा