संक्षिप्त रामायण
संक्षिप्त रामायण
संपूर्ण रामायण प्रमुख धार्मिक महाकाव्य है हमारा।
प्रतिदिन अध्ययन करने मात्र से सुख मिलता सारा।
सम्पूर्ण रामायण में वैसे तो हैं कई कांड और अध्याय।
परंतु तुच्छ प्रयास किया कि यह कुछ पंक्तियों में समाय।
अयोध्या नगरी में राजा दशरथ के थे चार पुत्र हुए।
ज्येष्ठ पुत्र का नामकरण राम हुआ, सब प्रसन्न हुए।
राम को भाइयों लक्ष्मण,भरत व शत्रुघ्न से प्रेमभाव था।
अनुजों के हृदय में बड़े भैया के लिए सम्मान भाव था।
चारों राजकुमारों को शिक्षा दीक्षा पाने गुरुकुल भेजा।
चारों शिष्यों ने गुरुओं से प्राप्त ज्ञान को मन में सहेजा।
ज्ञान, शिक्षा, दीक्षा प्राप्त कर राजकुमार वापस आए।
पिता और माताओं को उनके विवाह की इच्छा आए।
राजा जनक की पुत्री सीता का विवाह राम से हो गया।
पूरी अयोध्या में विवाह के उपलक्ष में उत्सव हो गया।
छोटी मां कैकेयी के वचन के कारण वन प्रस्थान किया।
उनका साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण ने भी दिया।
चौदह वर्ष के वनवास भुगतने का कठिन जीवन जिया।
अनेक कठिनाइयां आईं, परंतु अपना वचन पूरा किया।
शूर्पणखा राम पर मोहित हुई, लक्ष्मण से नाक कटवाई।
बस यहीं से राम सीता लक्ष्मण पर भारी मुसीबत आई।
परिस्थितिवश लंकेश रावण ने सीता का हरण किया।
राम, लक्ष्मण, वानरसेना ने लंका पर आक्रमण किया।
श्रीराम और रावण का युद्ध लंबे समय तक चलता रहा।
युद्ध में रावण के परिवार का प्रत्येक सदस्य मरता रहा।
अंततः राम ने रावण का वध करके युद्ध विराम किया।
सीता को वहां से छुड़ाकर अयोध्या को प्रस्थान किया।
तब राम और सीता का अयोध्या में राजतिलक हुआ।
अब अयोध्या में श्री राम का कई वर्षों तक राज हुआ।