STORYMIRROR

Awadhram Yadav

Classics

3  

Awadhram Yadav

Classics

पिता

पिता

1 min
202

कुछ भाव विभोर करने वाली यादें जुड़ी हैं पिता से

साफ-साफ कहूं अगर तो बुनियादें जुड़ी हैं पिता से। 


पिता की रिक्तता में लगता है कि चिता पर भविष्य है

पिता जिन्दा हो जब, तो समझो पिता पर भविष्य है।


बेटे के घावों को घाव अपने देखता है पिता

बेटे के सपनों में अपने सपने देखता है पिता।


समृद्धि अपनाने वाले मानवता के कर्मों से बड़ा है पिता

पिता के अनुभवों से सीखो सभी धर्मों से बड़ा है पिता।


और क्या कहूँ गुझिया, भुजिया दर्जनों केले अपने हैं

जब पिता साथ हो तो मेले के सभी ठेले अपने हैं।


जिन्दगी में जितने थे गमों के बादल काले ले लिए

कम्बल में सुलाकर मुझे, ठण्डकों के पाले ले लिए।


आन से, मान से, सम्मान से, कलम चले बिना रुके 

इसलिए मेरे पिता ने मेरे हिस्से के छाले ले लिए।


जवानी हरगिज नही सिखाती पिता का अपमान करो

पिता के वंश के अंश हो इसलिए पिता का सम्मान करो।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Awadhram Yadav

Similar hindi poem from Classics