सीते तुम विश्र्वास रखो...
सीते तुम विश्र्वास रखो...
तुम हो मेरी प्राण प्रिये,
फिर मिलने की तुम आस रखो।
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें।
सीते तुम विश्र्वास रखो ...
हम पर जिसने अन्याय किया,
वो खून के आंसू रोयेगा।
और जो चैन से सोयेगा,
वो अपना सब कुछ खोयेगा।
आयेगा हनुमान मेरा,
तुम तब तक उनके पास रहो।
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें।
सीते तुम विश्र्वास रखो ......!
माना कि हम वनवास में है,
पर इक दूजे की श्र्वास में है।
चाहे तन हो मीलों दूर मगर,
हृदय हमारे पास में है।
कुछ समय बिता लो पिंजरे में,
फिर उड़ने को आकाश रखो।
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें।
सीते तुम विश्र्वास रखो ......!
इस वक्त जो तुम से दूर हूँ मैं,
बड़ा विकट मजबूर हूँ मैं,
हूँ अखंड सौभाग्य,तुम्हारी
मांग का सिंदूर हूँ मैं।
जरा वक्त बदलने दो मेरा,
तुम थाम के तब तक श्र्वास रखो,
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें।
सीते तुम विश्र्वास रखो ......!
मै रावण के स्वर्ण की लंका
का इक दिन विध्वंस करुंगा।
ठान चुका हूं मन मे अपने,
खत्म मै पूरा वंस करुंगा।
पिया मिलेंगे तुमको इक दिन,
बस इतनी अरदास रखो
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें।
सीते तुम विश्र्वास रखो ......!
है समय अभी लौटा दे, तो
सम्मान दशानन पायेगा।
जो मेरी बात नही मानी,
तो रावण कुल मिट जायेगा।
मन मे रख लो धीर, ध्यान में,
तुम लंका का विनाश रखो।
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें
सीते तुम विश्र्वास रखो ।
आ ही गया है वक्त प्रिये
रावण की लंका जलाने का।
खत्म हुआ वनवास, समय है
अवध पुरी अब जाने का।
नयनो में भर लो नीर, हृदय में
पिया मिलन की प्यास रखो।
तुम्हे राम छुड़ाने आयेगें
सीते तुम विश्र्वास रखो ..!!