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Sidhartha Mishra

Classics Inspirational

4.9  

Sidhartha Mishra

Classics Inspirational

माँ

माँ

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एक बार नारद मुनि जी ने

पूछा श्री हरी से,

की क्यों लेते हो जन्म बार बार

जब की बुराई का अंत

करने केलिए सिर्फ और सिर्फ

आपका शुदर्शन चक्र ही है काफ़ी!


बोले श्री हरी बिष्णु जी

की सुनो है नारद आज तुम ये बात,

हूँ लेता मैं जन्म बार बार

ताकि जो सुख है नहीं बैकुंठ लोक पर

वो मिलता है मुझको धरती पर।


नारद जी हुए परेशान

की जिस बैकुंठ लोक पर आने के लिए,

तपस्वी करते तप बरसो तक,

फिर वो बैकुंठ लोक पे क्या है वह 

जिसे पाने लेते है अवतार श्री हरी

धरती लोक पर।


पूछे श्री हरी से की

है प्रभु बतलादो मुझको आप

की क्या है वह जो है भाता आपको इतना

जो मनुष्य रूप के दुख कष्ट को भी

झेलना है आपको गबारा।


बोले श्री हरी की है नारद

वो है माँ की ममता,

जिसे पाने मैं लेता हूँ जन्म बार बार,

वो माँ ही है जिसकी स्नेह है मुझको भाती,

उसकी ममता की छांव मैं रहने

मैं जाता हूँ धरती बार बार।


माँ की करुणा होती है अपार

जिसके पास होती है माँ

वो है संसार का सबसे धनी इंसान।

अपनी माँ का आदर और ख्याल रखें,

और दुसरो की माँ का भी सम्मान करें।


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