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संजय कुमार जैन 'पथिक'

Romance Tragedy Classics

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संजय कुमार जैन 'पथिक'

Romance Tragedy Classics

एक दिन मैं नहीं लौटूंगा

एक दिन मैं नहीं लौटूंगा

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एक दिन मैं नहीं लौटूंगा,

रोज़ की तरह,

तुम मेरा इंतज़ार करोगी,

मेरी फीकी चाय और अपने 

चुप गुस्से के साथ, फिर 

झुंझलाकर मुझे फोन करना चाहोगी 


'तुम लेट आते हो तो मेरा जी 

अटका रहता है'

पर तुम फोन भी नहीं करोगी 

तुम्हें याद आ जायेगी हमारी तुम्हारी अनबन 

फिर भी तुम इंतज़ार करोगी 

क्योंकि तुम्हें मेरी परवाह है 


पर कभी तो एसा होगा 

जब मैं नहीं लौटूंगा

सिर्फ मेरी खबर आयेगी 

तब तुम शायद मुझे सुनना चाहोगी

यह सोचकर कि मैं आस पास हूँ 


मैं तुम्हें छोड़कर कैसे जा सकता हूँ 

पर कभी तो एसा होगा 

एक दिन मैं नहीं लौटूंगा।


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