क्या लिखूं दीवाली पर
क्या लिखूं दीवाली पर
क्या लिखूं दीवाली पर
महंगाई की गाली पर
जलती हुई पराली पर
प्रदूषण की लाली पर
हेल्थ है बड़ी सवाली पर
सफाई में जुटी घरवाली पर
नहीं आई कामवाली पर
यादों में बसी एक साली पर
जेब बड़ी ही खाली पर
फिर भी आज दीवाली पर
जिनपिंग के चौड़े कॉलर पर
फिर झगड़ा चाइनीस झालर पर
यूक्रेन में हुए अंधकार पर
मगर न मानी हार पर
भरे हुए बाजारों पर
जगह खोजती कारों पर
मास्क नही सबके मुह पर
बैन पटाखे,पर भड़ भड़
गिफ्ट की आवा जाही पर
सरहद पे खड़े सिपाही पर
पथिक कलम की स्याही पर
लिज़ की कुर्सी गई मगर
सुनक की फिर से खुली डगर
नो बॉल पे लगा विराट सिक्सर
पाकिस्तान रह गया सिफर
दिए जल रहे सरयू पर
राम आएंगे अपने घर
आपको हैप्पी दीवाली सर।