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Sheel Nigam

Romance

4  

Sheel Nigam

Romance

मन की दास्तान

मन की दास्तान

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सब तरफ ख़ामोशी का आलम, दास्तान क्या बयान करूँ ?

लबों के संग दिल भी ख़ामोश है, दास्तान क्या बयान करूँ ?


न जाने कब से सूखे अश्क गालों पर अपना पता बता देते हैं,

ख़ुश्क आँखों, कांपती पलकों की दास्तान क्या बयान करूँ ?


भूली-बिसरी यादों की पगडंडियाँ दिल में ख़्वाब सजाये बैठी हैं,

मंज़िल तक न जा सकने की उनकी दास्तान क्या बयान करूँ ?


क्या लिखूँ ? शायद यह क़लाम उनको आख़िरी सलाम है मेरा,

अपने उजड़े दामन की सिलवटों की दास्तान क्या बयान करूँ ?

 

बहुत चाहा, पर रोका दिल को, मन में उनकी तस्वीर बसाने से,

मन की चाहत में उलझे दिल की दास्तान क्या बयान करूँ ?


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