दिल एक जासूस
दिल एक जासूस
मत कर ऐसी छेड़खानियां ए बहकती हवा
आज दिल उदास है मेरा करना नहीं कोई खता
हर रोज़ जो तुम हमसे जान लेते हो राज़ दिल के
आज बन जा एक जासूस हमारी चाहत मे
और पता कर आ मेरे सनम के दिल-ए-राज़ क्या है....!
बनके बहारे उनके शहर से गुज़रना तुम
खिलतीं फूलो की खुशबू लेकर गली से गुज़रना तुम
मुश्किल नहीं होगा तुम्हे ढूंढ़ने मे मेरी महबूब को
वो मिलेंगे तुम्हे छत पे खड़े कहीं खोये खोये से
मुस्कान के पीछे छुपाये हुए अपने हर दिल-ए-राज़ है.....!
उनके कशिश भरी आँखों मे गहराई बहुत मिलेंगे
उनके होठों के खामोशी के पीछे बहुत अल्फाज़ मिलेंगे
कहते नहीं है हमसे कभी अपने मन की बात
ए हवा बन जा आज मेरे लिए एक जासूस
और पता कर आ मेरे सनम के दिल-ए-राज़ क्या है....!
मेरे बेपनाह मोहब्बत की पहले उन्हें तुम महसूस कराना
ना समझें तो उनके साँसो मे मेरी अहसास बनके पिघल जाना
छूकर देखना दिल को उनके क्या क्या राज़ छुपाये हैं
है किसी और का चेहरा या वो भी हमसे दिल लगा बैठे हैं
अब होता नहीं सब्र ज़रा भी जानने को सनम की दिल-ए-राज़ जो है....!
गर भूल गए होंगे हमें तो ए हवा तुम इतना याद दिला देना
नैन बिछाये बैठी हूँ मैं मेरे इंतज़ार की तड़प सुना देना
गर हो गयी है कोई खता तो कहना उनसे हमें माफ़ करे
जीना मुश्किल होता जा रहा अपने सनम के प्यार मे
ए हवा कर दें इतना अहसान और बनके जा एक जासूस
और पता कर आ नैना कि उस ज़ालिम सनम की दिल-ए-राज़ क्या है....!!

