ज़िन्दगी के दो राहें
ज़िन्दगी के दो राहें
बड़े नज़ाकत से दिल ने प्यार के सपने सजाये
प्यार के कई रंगों से ज़िन्दगी की महफिल सजाई
करता है दिल खुद से बहुत सरे वादे ज़िन्दगी में पर
किस्मत का खेल भी गजब है जो ज़िन्दगी के दोराहे पर खड़ा कर दिया
चाहे कैसे भी हालात हो ज़िन्दगी के पर साथ साथ चलेंगे
कोई भी बात हो एक दूजे से खुलकर हम बयां करेंगे
छोड़ेंगे न हाथ कभी कितना भी मुश्किल हो प्रस्थितियां
छूटेगा न दामन कभी एक बार जो दिल से थाम लिया
जितने शान से किया करते शादी सारी दुनिया के सामने
काश उन्हें ये अदा आ जाती रिश्तों को दिल से निभाने की
जाने कैसे फीके पड़ने लगते है प्यार दिलों से उनके
शादी के सात फेरो के अग्नि में दिलों के अहसास भी जला दिया
दो ज़िन्दगी के मिलने से जाने कितने रिश्ते जन्म लेते है
सादी एक पहचान ही नहीं एक नयी दुनिया की शुरुआत होते है
लेकिन अब नहीं रह गया वो समुद्र सी गहराई रिश्तों में लोगों की
जिसने जब चाहा जोड़ा और जब मन किया तब मज़ाक बना दिया
ज़िन्दगी में मतभेद हो चली अब साथ लगे कोई घुटन सी
कुछ सोचा न समझा कोर्ट में तलाक के लिए अपील कर दी
बहुत आक्रोश होता है दिल में सुन ऐसी कुनीति के बाते
घर की मान को खिलौना समझ के दुनिया के सामने नीलम कर दिया
अलग होते है दो ज़िन्दगीयां पर जाने कितने रिश्ते दम तोड़ते है
बच्चों के सर से माँ बाप का साया हरा भरा आँगन वीरान होते है
दौलत में हिस्सा लगाया और पैसो की भी किया बटवारा
इतना से दिल नहीं भरा तो बच्चों को आपस में बाँट लिया
क्यों समझ नहीं पाते है ऐसे खुदगर्ज लोग ज़माने की
खुद के स्वार्थ में जाने कितने मासूम ज़िन्दगीयों में तूफान भर दिया
कर के कुछ कागज़ पर दस्तखत काले कोर्ट वालों की सहारे
मासूम बच्चों के सर से अपनों के प्यार का साया तक छीन लिया
दूर हो जाते बच्चे अपने पिता/माँ से छोटे उम्र में ही
छूट जाता है साथ पल में बचपन में ही उन भाई बहनों का
दिल में नफरतों के आग लिए जला बैठते है खुद के घर को ही
अपने आज के लिए अपने साथ बच्चों की भविष्य भी जलाकर भस्म कर दिया.....!!
