मृत्यु
मृत्यु
दोस्तों संसार की कितनी अजब-गजब रीत है ये पुरानी,
एक को है हंसाती तो कितनों को फूट-फूटकर रुलाती।
जिंदगी ही तो है जो कभी-भी वफादारी नहीं है निभाती,
मृत्यु ऐसे ही बदनाम जबकि सारे खेल ये जिंदगी रचाती।
इंसान सोचे एक दिन आशाओं का सवेरा भी आयेगा,
ये तो भ्रम ही है ना वो दुनिया से यूं निराश ही जायेगा।
हम सबकी भी कितनी अजीबो-गरीब कहानी है,
आखिरी वक्त में सबने राह तो मृत्यु की पकड़नी है।
यारों ये तो घर-घर की ही तो हैं ना अजब-गजब कहानी,
जो समझ जाते उनकी तो है ना ये जिंदगी की दास्तान।
क्यों कुछ लोगों को इस बात से भी इतना एतराज है,
लालच और छल-कपट से ही बस उनको कामकाज है।
मुस्कुराना सीख लेना चाहिए चाहे हाल-चाल कैसा भी हो,
अमन-चैन की सुकून भरी नींद आ जाए तो दिक्कत क्या है।
अपने आप में रहना और सबको अपना कहना सीखो,
झूठ-कपट लालच फरेब और धोखे से बचना सीखो।
देखना अमन-चैन से सोना कभी भी नहीं होगा नसीब,
मृत्यु ऐसे हो कि सबके आंखों में आंसू और
हमारे लिए सम्मान हो।
