आत्म सम्मान
आत्म सम्मान
हाँ, मैं हूँ एक लड़की पर कमज़ोर नहीं
रहती हूँ चार दीवारों में पर हूँ मैं कैद नहीं
खनकती है मेरी हाथों में रंगीन चूड़ियां
वक़्त आने पर मार सकती हूँ छूरियाँ
माना हमारी पैरो में गूंजती है पायल
गलतफहमी में मत रहना जनाब
सितम करके हमें कर देगा घायल
रहूं दुनिया के नज़रो में कुछ भी
पर अपने परिवार का मैं लाडली हूँ
मत सोच लेना खेल लोगे मेरे ज़ज़्बातो से
अपने पे आयी तो समझ लेना माँ काली हूँ
तुम क्या ठेस पहुंचाओगे हमारी आत्म सम्मान पर
मैं तुम्हारे ही घर के एक पहचान नारी हूँ
भूलकर भी हमें मजबूर मत समझना
मैं खुद में एक शक्तिशाली नारी हूँ......!!