STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Action

3  

Surendra kumar singh

Action

यादों का अहसास

यादों का अहसास

1 min
213

इस चलते हुये शक्ति पर्व में

यादों के जीवंत होने की

अनुभूति हो रही है

माँ के नौ रूप अब

नव रूप में हैं

आधुनिक काल खंड की

जरूरत की सम्पूर्ति हेतु।

जब मनुष्य प्रजाति को समाप्त

करने की क्षमता रखने वाले

हथियारों से पृथ्वी पटी हुयी है


हवा श्वास लेने के काबिल नहीं रही

पृथ्वी को बुखार है

उसकी श्वासें अनियंत्रित है

और मनुष्य को तरक्की का जनून है

तब शक्ति पर्व को इतिहास

के रूप में निरूपित करते हुये

आदि शक्ति की पूजा के साथ

उनको नये रूप में

महसूस करने की जरूरत थी

और हम ठीक ठीक ऐसा ही

महसूस कर रहे हैं कि

शक्ति अपने नये रूप में

सक्रिय है

यानी शक्ति का दसवां रूप भी

अस्तित्व में है

और उसकी ऊर्जा जीवन में

एक समझ की तरह

डिप्लॉय हो रही है

जीवन युद्ध में

शक्ति की भूमिका

हमारे अपने प्रति हमारे दृष्टिकोण में

सन्निहित हो गयी है

मनुष्य होने की जिम्मेदारी

मनुष्य को रूपान्तरित कर रही है

एक नये मनुष्य के ही रूप में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action