पीड़ित की वाणी बनें
पीड़ित की वाणी बनें
अधर्म और अन्याय देख- सुन,
अधिकांश लोग जब हों मौन।
पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती,
के ही उपासक, और बनेगा कौन ?
सम्पत्ति भू स्त्री पर बलपूर्वक कब्जा,
आशा न्याय की,कहे धमकाकर थम जा
होती भैंस उसी की जिसकी हो लाठी,
दुनियादारी सोच रहते हैं सब मौन।
अधर्म और अन्याय देख- सुन,
अधिकांश लोग जब हों मौन।
पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती,
के ही उपासक, और बनेगा कौन ?
मद दौलत -बाहुबल का अस्थाई,
न गंवाना चाहता है कोई भी भाई।
शक्ति को शक्ति ही हरदम है भाती,
पाई हुई गंवाने का खतरा ले कौन?
अधर्म और अन्याय देख- सुन,
अधिकांश लोग जब हों मौन।
पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती,
के ही उपासक, और बनेगा कौन ?
धन-सम्पत्ति हैं भौतिक सुख - साधन,
विचार अमूर्त रूप अविनाशी अमर धन।
सरस्वती भक्तों की है यह वैचारिक पूंजी,
हरेगी पीड़ा रश्मि के सम,न रह पाएगी मौन।
अधर्म और अन्याय देख- सुन,
अधिकांश लोग जब हों मौन।
पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती,
के ही उपासक, और बनेगा कौन ?