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PIYUSH BABOSA BAID

Abstract Inspirational

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PIYUSH BABOSA BAID

Abstract Inspirational

बेटी

बेटी

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तू ही तो मेरी ख्वाइश है,

खुशियों की एक बड़ी नुमाइश है,

तू ही सुभा की चाव है,

कड़कती धूप में जैसे ठंडी छांव है।


विधाता ने बदला मेरे भाग्य को सौभाग्य में,

भेजी एक नन्ही परी जैसे लक्ष्मी का रूप,

सरस्वती दुर्गा अन्नपूर्णा सब रूप है यहां,

जहां हस्ती खेलती खिलखिलाती है बेटियां।


जिस दिन हुआ था मेरी बेटी का जन्म,

उस दिन से माना था मेने मेरे भाग्य को गरम,

उस दिन मेने खुद से वादा था किया की मेरा हर वक्त है तेरा,

क्यूकी आके मेरी गोद मे मेरी बिटिया

तूने किया मेरा सारा तमस हरण।


वो पूरा दिन हमारा इंतजार है करती,

हमे देख के अपने चहरे पे हसीं भर लेती,

पापा पापा बोलके हमसे लिपट है जाति,

अपने प्यार से हमारा थकान है भगाती।


वो हमसे कभी कुछ ना मांगती,

सिर्फ हमारा पल दो पल है चाहती,

जो बिताए खेले हम घड़ी भर बेटी से,

पूरा आंगन हसीं किलकारी से है भर देती।


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