STORYMIRROR

PIYUSH BABOSA BAID

Others

4  

PIYUSH BABOSA BAID

Others

चलो बचपन जीते है।

चलो बचपन जीते है।

1 min
211

आज एक बार फिर बचपन जीना चाहते है,

कुछ दिन के लिए ही सही,

बस एक बार सब चिंता सब जिम्मेदारी से छुट्टी पाना चाहते है।


बचपन शब्द सुनते ही,

चेहरे पे हंसी और दिमाग में शरारत आ जाता है,

किस्से वो अनेक याद आ जाते हैं,

हाफ पैंट या लंगोट पहन उसे जीने का मन कर जाता है।


घर में बज रही थी थाल,

मिठाई से महक रहा था हस्पताल,

गोध में मुझे उठा के ऊ लु लू लू हा हा हा हा बोल लोग,

रहे थे जैसे कोई धुन या ताल।


सारे रिश्ते नाते जमा हो कर रहे थे लाड,

नानी दादी बारी बारी कर रहे थे नजर उतार,

सजा हुआ था घर का द्वार,

पहले कदम पे हो रही थी फूलों की बहार।


ना किसी बात की फिकर,

ना कोई चिंता,

बस मां की ममता और पापा का प्यार,

पियूष बाबोसा के कानों में गूंजता गुच्छी गुच्छी ओले ले ले के मीठे बोल बरम बार।


आज एक बार फिर बचपन जीना चाहते है,

कुछ दिन के लिए ही सही,

बस एक बार सब चिंता सब जिम्मेदारी से छुट्टी पाना चाहते है।


Rate this content
Log in