चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
चैन की नींद तो एक फकीर ही सोएगा।
क्योंकि उसे कोई डर नहीं होएगा।
है जिसके खजाने भरे हुए,
हीरे मोती हैं जड़े हुए,
पर कोने में वह दुबका बैठा,
अपने सिक्के गिनता रहता।
चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
क्योंकि उसे कोई डर नहीं होएगा
यूं तो उसके अपनों से घर भर जाएगा
पर वह विश्वास न किसी पर कर पाएगा
उसने सबको धोखा दिया है ,और सबसे वह धोखा ही खाएगा
चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
क्योंकि उसे कोई डर नहीं होएगा।
खाने को है पकवान बहुत
पर भूख कहां से लाएगा?
चिंता करते करते ही प्यारे
कोई बीमारी लेकर यूंही मर जाएगा।
चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
क्योंकि उसे कोई डर नहीं होएगा।
सामान तो इकट्ठा कर लेगा वह
पर इस्तेमाल भला कैसे कर पाएगा?
एक इंसान की इतनी जरूरतें ही नहीं
वह खाली हाथ आया था, खाली हाथ जाएगा।
चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
क्योंकि उसे कोई डर नहीं होएगा।
मरना तो दोनों का निश्चित है,
फकीर तो परमात्मा का भजन करते करते ही मर जाएगा।
पर मूर्ख तो अपने कर्मों का ही बोझ अपने सर पर डाले,
ना जी पाएगा ना मर पाएगा।
चैन की नींद तो फकीर ही सोएगा
क्योंकि उसे कोई डर नहीं होएगा।