आफत की आंधी
आफत की आंधी
नफ़रत के ना तुम बोलो बोल
बनाये रखो मेलजोल
जनता को भड़काओ ना
आफत की आंधी लाओ ना
नफ़रत की इस आंधी में
दुनिया उजड़ी कितनी की
कितने की मांग सुनी
कितने का उजड़ा है कोख
तुम तो बोल के छिप जाते है
तुम्हारी बोली बाहर आफत मचाती है
जनता को भड़काओ ना
आफत की आंधी लाओ ना
देश का विकास करो
सब का तुम सम्मान करो
मिलजुल कर जब रहेंगे हम
तभी आगे बढ़ेंगे हम ।
