स्त्री तेरी कहानी
स्त्री तेरी कहानी
स्त्री तेरी यही कहानी
आँखों से छलका पानी.!
जुल्मों को तू सहती गई
होंठों को तू सिलती गई
इज्जत के नाम पर
न जाने कितनी जिल्लत तू सहती गई
तेरे अंदर तो देवी है
लोग कहते है की स्त्री में दुर्गा है काली है
फिर वही स्त्री क्यों इतनी बेचारी है
अपने अंदर के हिम्मत को पहचान तू
जो गलत लगे उस फरमान न मान तू ।