STORYMIRROR

Gulafshan Neyaz

Tragedy Inspirational

3  

Gulafshan Neyaz

Tragedy Inspirational

स्त्री तेरी कहानी

स्त्री तेरी कहानी

1 min
138

स्त्री तेरी यही कहानी 

आँखों से छलका पानी.!

 

जुल्मों को तू सहती गई 

होंठों को तू सिलती गई 


इज्जत के नाम पर

न जाने कितनी जिल्लत तू सहती गई


तेरे अंदर तो देवी है 

लोग कहते है की स्त्री में दुर्गा है काली है

फिर वही स्त्री क्यों इतनी बेचारी है


अपने अंदर के हिम्मत को पहचान तू

जो गलत लगे उस फरमान न मान तू 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy