बुढ़ापा
बुढ़ापा
अब घर कँहा हवेली होती है
जिसमे एक बूढी अकेली होती है
बेटा रहता है. जिसका प्रदेश मे
बहु रहती है. जिसकी ऐश मे
बुढ़ापा तो सबको आना है
आज ना कल सबका फ़साना है
बूढ़े बूढी का करो सम्मान
हवेली ना बना कर बनाओ एक परिवार।
