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Gulafshan Neyaz

Fantasy Inspirational Others

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Gulafshan Neyaz

Fantasy Inspirational Others

गजल

गजल

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पटक कर सजदे में सर

दिल में मलाल रखते हो


कहने को नमाजी हो

या खौफे खुदा बाकी है


दुखा कर दिल किसी बेकसूर का

खुद को हाजी नमाजी कहते हो.


ये कैसा हज और कैसी नमाज है

जो दर्द ना समझें किसी गरीब का


खुदा का खौफ खाओ 

दिखावे से बाज आओ 


जो बन सके ना हमदर्द किसी का

वो कैसे बनेगा नेक बंदा उस रकीब का


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