Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

किरण वर्मा

Abstract Fantasy

4  

किरण वर्मा

Abstract Fantasy

ख़्वाब बनाम हक़ीक़त

ख़्वाब बनाम हक़ीक़त

2 mins
351


वो एक हसीन रात का मंज़र था 

चारों तरफ रोशनी थी और मुलायम-सा मेरा बिस्तर

दो चार कदम चल नीचे देखा, आगे देखा, पीछे देखा

मैं अचंभित आँखों को मसले जाने क्या अनुमान लगाती

मेरे मोहल्ले की गली में आज रोशनी का घेरा है

हर चेहरा पुराना है ये कुछ नया मोहल्ला -सा जैसा है


कल जिसने मारा था उसको, फिर वो रोई थी पड़ोस में

आज उसी हाथ थामकर, वो उसके साथ ही सोया है,

आधी रात तले लड़कियां, हंसी-ठिठोले करती-फिरती,

मुझे इस बंद कमरे से मुझको जैसे कोई आवाज़ लगाता

मन में उल्लास भरा है, अब मैं उस भीड़ से नहीं डरती हूँ


अपने क़दमों को उठाये, मैं दर- दर घूमती-फिरती हूँ 

जिनके दर्द सुने थे दिन में, उन चेहरों को तलाशती हूँ।

खुशियों की बारात-सी जैसे उनके घर में बजती हो,

मेरे हाथों को पकड़ कर जैसे उसने जैसे खींचा हो।


हाथों का स्पर्श सा पाकर मैं खुशी से झूम उठी,

हर चेहरे की मुस्कुराहट मुझे जैसे उस भीड़ में खींच चुकी 

मैं जो चाहकर भी न कर सकी, इस रात ने कर दिखाया है

आज रात गए अपने मोहल्ले में, मैं जोरों से हँसती हूँ,

हँसता है पूरा मोहल्ला, मैं न आज अकेली हूँ।


न बदलेगा कुछ भी अब बीती हुई रात की तरह 

यही सोचकर मैं बिस्तर पर, हँसकर करवट लेती हूँ।

मेरे गालों को खींचकर मम्मी मुझसे कहती हैं, 

उठ जा बेटा सपनों में, तू क्यूँ इतना हँसती है।

मैं अपनी आंखों को खोले फिर से अब, 

इस हकीकत पर हँसती हूँ..... 



Rate this content
Log in