रंग गए मोहन मुरारी
रंग गए मोहन मुरारी
राधारानी खेले हैं पिचकारी, रंग गए मेरे मोहनमुरारी।
सखियों ने कर ली तैयारी, अब है राधारानी की बारी।।
जब मोहन खेले पिचकारी, भींगे हैं दुनिया ये सारी।
दुनिया है जिनकी आभारी, वो हैं राधा रानी की यारी।।
वृषभानु खेले हैं पिचकारी भींगे हैं मेरे मोहन मुरारी।
चली तिरछी नैन कटारी, छूट गई हाथों से पिचकारी।।
ये चढ़ी है कैसी खुमारी, जादू किया है तूने ही बनवारी।
प्रेम में कितनी पागल हैं, गोकुल की ये सखियां बेचारी।।
आनन्दित हैं ब्रज की नर नारी, त्योहार में आएंगे गिरधारी।
उत्सव की करनी है तैयारी, रंग-गुलाल उड़ाएंगे मेरे मुरारी।।